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बिहार की सियासत में दो सगे भाई अब कट्टर सियासी दुश्मन बन चुके है

Tuesday, October 14 | October 14, 2025 WIB Last Updated 2025-10-15T06:59:12Z

 बिहार की सियासत में दो सगे भाई अब कट्टर सियासी दुश्मन बन चुके है .. एक बिहार का सीएम बनाना  चाहता है .. तो दुसरा बिहार की सियासत का किंगमेकर ... कभी दोनों एक ही मंच से भाषण देते थे, एक-दूसरे की जीत के लिए वोट मांगते थे…लेकिन अब  वक्त बदल चुका है।अब मंच भी अलग हैं, पार्टी भी  ...जो तेजप्रताप यादव कभी ..तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते थे .. आज वही तेजप्रताप यादव तेजस्वी यादव की  राह का सबसे बड़े रोड़ा बन चुके है ..और अब उनका निशाना है वही परिवार, जिसने उन्हें राजनीति भी  सिखाई  और पार्टी से बहार का रसता भी दिखया....तो क्या लालू परिवार का भी वही हाल होगा ...जैसा कुछ साल पहले यूपी में मुलायम परिवार का हुआ था ? तब अखिलेश यादव ने अपने चाचा शिवपाल यादव को 'साइकिल' से उतारकर पैदल कर दिया था. और आज वही खतरा बिहार में लालू परिवार पर भी मंडरा रहा है।  



बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लालू परिवार कलह खुलकर सडको पर आ चूका है ... लालू की बनाई विरासत अब उनके ही घर में बिखरने लगी है।”

जब सियासत घर के भीतर उतर आती है, तो रिश्ते भी वोट बैंक में बदल जाते हैं।” सत्ता की कुर्सी जब सामने होती है, तो भाई भी विरोधी बन जाते हैं।”...“जब घर के दो वारिस एक ही ताज पर नज़र रखते है ..तो महाभारत तय है। और आज यही लालू परिवार के साथ हो रहा है...


बिहार चुनाव से ठीक पहले लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. और तब तेजप्रताप यादव ने भी कभी न आरजेडी में शामिल होने की कसम खायी  थी  ..सियस्त में दुशमनी इस कदर बाद गयी . की आर जेडी छोड़ खुद एक नयी पार्टी बना ही बनाली  ..और आज अपने ही परिवार के सामने चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे है ।...क्या है लालू परिवार के दो राजकुमारों की सियासी दुशमनी की असली कहानी , कौन है जिसने दो भैईयों को कट्टर सियासी दुशमन बना दिया ? चलिए इस  विडियो में समझते है ?


इस कहानी की शुरवात होती है आज से पांच साल पहले साल 2020 में ... बिहार विधानसभा चुनाव से ? तेजस्वी यादव आरजेडी की कमान संभालकर सत्ता में लौटने बेकरार थे ? जबकि तेजप्रताप को लगता था कि पार्टी और परिवार का ध्यान सिर्फ तेजस्वी पर केंद्रित है। तेजप्रताप की नाराजगी की शुरुआत यहीं से हुई – ये दर्द अभी कम नहीं हुआ था की अनुष्का यादव के साथ उनकी फोटो वायरल होने के बाद, लालू यादव ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया।  लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। लालू यादव को किडनी देने वाली बेटी रोहिणी आचार्य ने भी इस राजनीतिक संग्राम में कदम रखा दिया है यानी अभी तक तो सिर्फ तेजप्रताप यादव ही अकेले तेजस्वी की नफरत का शिकार थे .. लेकिन अब इसमें एक और नाम जुड़ गया है रोहणी आचार्य का इसका मतलब साफ है: की अब तेजस्वी यादव के सामने सिर्फ तेजप्रताप ही चुनौती नहीं थे , बल्कि रोहिणी भी खुलकर उनकी राह में खड़ी हो चुकी हैं।  ये वैसा ही था .. जैसे कुछ साल पहले यूपी के मुलायम परिवार में हुआ था...अब सवाल यह है —की क्या बिहार में वही कहानी दुहराई जाएगी?  

 

 तेज प्रताप यादव — जो कभी आरजेडी के भीतर ‘राजकुमार’ कहलाते थे —अब उसी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं।” तेज प्रताप ने अपनी नई पार्टी  जनशक्ति जनता दल — से 21 उम्मीदवारों की सूची जारी की है…और इस सूची में सबसे ऊपर नाम है — खुद तेज प्रताप यादव का।”“दिलचस्प बात ये है कि तेजप्रताप ने नामांकन की तारीख भी वही चुनी,जो उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव की है — 15 अक्टूबर।तेजस्वी राघोपुर से नामांकन करेंगे, तो तेजप्रताप उसी दिन महुआ से मैदान में उतरेंगे।”“यानी — सियासी रणभूमि तय हो चुकी है, और अब ‘भाई बनाम भाई’ का मुकाबला सिर्फ चर्चा नहीं, हकीकत है।”



महुआ… वही सीट, जहाँ से तेजप्रताप ने 2015 में अपना पहला चुनाव लड़ा था। जहाँ से उनकी राजनीतिक यात्रा शुरू हुई थी…और अब वही सीट उनके और तेजस्वी के बीच ‘पहली सीधी चुनौती’ बन गई है। तेजप्रताप के पास अब खोने को कुछ नहीं है, जबकि तेजस्वी के पास दांव पर है — सत्ता, पार्टी और पूरा परिवार।”यानी ये जंग सिर्फ चुनाव की नहीं, विरासत बनाम बगावत’ की है।”

 

अब सवाल ये है — क्या लालू यादव और राबड़ी देवी अपने बड़े बेटे को हारते हुए देख पाएंगे? क्या परिवार की भावनाओं को देखते हुए तेजस्वी यादव तेजप्रताप को वॉकओवर देंगे? या फिर दोनों भाई अपनी-अपनी रणनीति से पूरी सियासी ताकत झोंक देंगे?” अब बिहार की राजनीति में नए अध्याय की शुरुआत हो चुकी है —जहाँ भाई बनाम भाई, सत्ता बनाम बगावत, और क़ानून की चुनौती एक साथ मैदान में हैं। ये तीनों मिलकर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को बना देंगेएक सियासी महाभारत,जिसका विजेता कोई भी हो,पर हारना  लालू परिवार को ही है 

 

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